“छोटी चीजें”
“छोटी चीजें”
छोटी चीजें आकार लेती है
एक शब्द से,
स्वयं को खोलती है
एक मुस्कान से,
चुपके से आती है
झरोखों से,
कभी टपक जाती है
बन्द पलकों से।
“छोटी चीजें”
छोटी चीजें आकार लेती है
एक शब्द से,
स्वयं को खोलती है
एक मुस्कान से,
चुपके से आती है
झरोखों से,
कभी टपक जाती है
बन्द पलकों से।