छोटी कहानी : डायबिटीज
छोटी कहानी : डायबिटीज
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रमेश बाबू दावत में दोने में गुलाब जामुन लेकर चटखारे मार कर खा रहे थे । गुलाब जामुन वास्तव में बहुत स्वादिष्ट थी।रमेश बाबू को बहुत आनंद आ रहा था। एक दोना खाने के बाद उन्होंने दूसरा दोना लिया और जैसे ही गुलाब जामुन का छोटा- सा टुकड़ा काट कर अपने मुंह में रखा, तभी पीछे से किसी ने उनके कंधे पर हाथ रख कर कहा -” यह आप क्या कर रहे हैं ? ”
सुनते ही रमेश बाबू का चेहरा सफेद पड़ गया। उन्होंने बिना पीछे मुड़े ही गुलाब जामुन का दोना कूड़ेदान में डाला और जैसा कि उन्हें अनुमान था कि यह आवाज उनकी पत्नी की थी। वास्तव में उनकी पत्नी ही उनके पीछे खड़ी थी। रमेश बाबू ने हकलाते हुए कहा -” बस अभी लिया था .. सिर्फ एक खाया था “।
पत्नी ने मुरझाई हुई आंखों से रमेश बाबू को देखा और कहा -“क्या चोरी छुपे मिठाई खाने से मिठाई का नुकसान नहीं होगा ?”।
अब रमेश बाबू थोड़ा सा उत्तेजित हो गए। जरा ऊंची आवाज में कहा -” कभी कभार खा लेता हूं तो तुम परेशान करने क्यों आ जाती हो ?”।
पत्नी ने कहा -“आप ही की भलाई के लिए मैं आपको मीठा खाने से रोकती हूं। आपको डायबिटीज है । खाएंगे , तो कुछ भी हो सकता है “।
रमेश बाबू ने ललचाई आंखों से गुलाब जामुन की परात को देखा और कहा -“ज्यादा से ज्यादा मर ही तो जाऊंगा। एक दिन तो सभी को मरना है”।
सुनकर पत्नी थोड़ा पीछे हट गई । सहमकर कहा-“आपने मेरी बात का गलत अर्थ निकाल लिया। मरना तो सबको है लेकिन डर तो अधमरा होने का है । न जाने कितने उदाहरण हैं जिसमें लोग पक्षाघात होने से ,,पैरालिसिस होने से बिस्तर पर पड़ जाते हैं ।कई बार बड़ी मुश्किल से शरीर को घसीटते हुए चलते हैं ।और यह शरीर को ढोना न जाने साल 2 साल ,5 साल ,10 साल चलता रहता है “।
रमेश बाबू पत्नी की यह बात सुनकर तनफना कर बोले -” मेरी सेवा करने से डरती हो ?”।
रमेश बाबू की पत्नी ने शांत स्वर में फिर जवाब दिया -“मेरी सेवा करने से आपका कष्ट तो समाप्त नहीं हो जाएगा ? कष्ट तो जिसके शरीर को होता है ,उसी को भोगना पड़ता है “।
तभी प्रीतिभोज में कुछ और लोग भी जो आसपास खड़े थे, बातचीत सुनकर उनके पास आने लगे थे । यह देखते हुए बात को ज्यादा न बढ़ाते हुए रमेश बाबू को वहीं पर छोड़कर उनकी पत्नी दूर चली गयीं। रमेश बाबू चुपचाप खड़े थे अब उनकी समझ में नहीं आ पा रहा था कि वह क्या करें ! गुलाब जामुन खाने की उनकी हिम्मत नहीं हो पा रही थी। बहुत सोचने के बाद वह थके कदमों से चल कर पत्नी के पास पहुंचे ।पत्नी के कंधे पर हाथ रखा पत्नी ने उदास आंखों से उन्हें देखा। रमेश बाबू ने अपराधी की मुद्रा में कहा -“तुम ठीक कह रही थीं। डायबिटीज के मरीज को स्वयं ही संयम रखना पड़ता है “।
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लेखक : रवि प्रकाश, रामपुर