छुपाना भी नहीं आता
** छुपाना भी नहीं आता (सजल)**
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मुझे दुख को छुपाना भी नहीं आता,
कभी अपना बनाना भी नहीं आता।
दुखाते हैं यहाँ दिल को जगत में सब,
किसी का दिल दुखाना भी नहीं आता।
बसाते घर सभी जग में अकेले भी,
अकेले घर बसाना भी नहीं आता।
बनाते बातें बहुत सारी बिना जाने,
अभी बातें बनाना भी नहीं आता।
हँसाते हैं बहुत से लोग मनसीरत,
बिना कारण हँसाना भी नही आता।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)