छिपा है कच्चे धागे में,बहन भाई का प्यार
छिपा है कच्चे धागे में,बहन-भाई का प्यार।
अरे!ये आया-आया रे,रक्षाबंधन त्योहार।।
हुई है राजी बहना तो,सजा लाई है थाल।
खिला मीठा बाँधी राखी,लगाकर टीका भाल।
लिया भाई ने सुरक्षा-प्रण,किया आदर सत्कार।
अरे!ये आया-आया रे,रक्षाबंधन त्योहार।।
कहे हर बहना भाई से,करे वो सबका मान।
सभी की बहनों को समझे,उसी के एक समान।
तभी होगा उत्सव हर घर,तभी महकेगा द्वार।
अरे!ये आया-आया रे,रक्षाबंधन त्योहार।।
करें नीयत काग़ज़ जैसी,नयन दर्पण से साफ़।
खिलेंगे रिश्ते-नाते जब,सही होगा इंसाफ़।
सभी अपने कौन पराया,न तानों तुम तलवार।
अरे!ये आया-आया रे,रक्षाबंधन त्योहार।।
छिपा है कच्चे धागे में,बहन-भाई का प्यार।
अरे!ये आया-आया रे,रक्षाबंधन त्योहार।।
-आर.एस.प्रीतम
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