छालो के फूटने से पत्थर कभी नम नही होते
फ़रेब-ए-इश्क़ फितरत कभी हमदम नही होते
छालो के फूटने से पत्थर कभी नम नही होते
झोंका सर्द हवा का उन पर उष्ण सा लगता है
कुछ नासूर ऐसे भी जिनके मरहम नही होते
प्रज्ञा गोयल ©®
फ़रेब-ए-इश्क़ फितरत कभी हमदम नही होते
छालो के फूटने से पत्थर कभी नम नही होते
झोंका सर्द हवा का उन पर उष्ण सा लगता है
कुछ नासूर ऐसे भी जिनके मरहम नही होते
प्रज्ञा गोयल ©®