छांव देता पीपल
छांव देता पीपल
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जिंदगी के पथ में, धूप में,
मुझको छांव देता पीपल ।
बैठी हूं आकर ,उम्मीद से चलके आई
पास तुम्हारे,
दिल में जरा सी जगह देना
मुझको पीपल—-
चलती रहूं सदा ,कर्तव्यपथ पर,
कभी न थकूं संघर्षो से।
ऐसी शक्ति देना मुझको पीपल—–
जमाने की रूसवाई से,
ना बहके कदम मेरे।
साथ देना सदा,
हमसफर बनके पीपल—-
जगत में यशस्वी बनूं,
ऐसा वरदान दे।
काम ऐसे कंरू,
धरा में विख्यात कर दे—
सबके दुख दर्द सुनना,
तपन में शीतलता देना।
ठंडी हवाओं का लहलहाना,
मिलती है राहत पथिक को,
थोड़ा विश्राम कर पीपल तले–
में भी चाहती हूं,यशस्वी होना।
जगत में मेरा यश फैलाकर,
धरा में पताका फहराने दो
पीपल —–
सुषमा सिंह *उर्मि,,