छलिया
नहीं देख पाया
मैं आज तक
तेरा असली रूप
छलता है मुझे
तू भी
बादलों की तरह
नित्य नए आकार में
परिवर्तित कर
स्वयं को
****
सरफ़राज़ अहमद “आसी”
नहीं देख पाया
मैं आज तक
तेरा असली रूप
छलता है मुझे
तू भी
बादलों की तरह
नित्य नए आकार में
परिवर्तित कर
स्वयं को
****
सरफ़राज़ अहमद “आसी”