छत्रपति वीर शिवाजी जय हो 【गीत】
छत्रपति वीर शिवाजी जय हो 【गीत】
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धन्य राष्ट्र-अभिमान छत्रपति वीर शिवाजी जय हो
(1)
तुम भारत के ऊँचे आदर्शों के मुखरित स्वर हो
हिंद-हिंदवी के संघर्षों के यश-गान अमर हो
तुम वीरों की सत्य-सनातन गाथाओं को गाते
जीजाबाई माँ से सुंदर सुखद प्रेरणा पाते
पाया वह उज्ज्वल चरित्र है जिसका कभी न क्षय हो
धन्य राष्ट्र-अभिमान छत्रपति वीर शिवाजी जय हो
(2)
तुमने मुट्ठी बाँध देश में मुगलों को ललकारा
टिका न औरँगजेब तुम्हारे आगे दुश्मन हारा
तुमने जीते किले नीति से तुमने लड़ी लड़ाई
बघनख जीता ,अफजल खाँ ने तुमसे मुँह की खाई
कोटि-कोटि वंदन स्वराज्य जो तुमने दिया अभय हो
धन्य राष्ट्र-अभिमान छत्रपति वीर शिवाजी जय हो
3)
यह तुम ही हो दिया हिंद को, गर्वित हिंदू नारा
गीता-रामायण से प्रेरित, हिंदुस्तान हमारा
यह तुम ही हो सदा मराठी, को प्रचलन में लाते
भारत का अभिमान संस्कृत, हृदयों में बैठाते
राज्याभिषेक के गौरव के क्षण, रामराज्य की लय हो
धन्य राष्ट्र अभिमान छत्रपति, वीर शिवाजी जय हो
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451