>>>>> छठ पर्व विशेष<<<<<
1, कौन हैं छठ मैया ?
2 इनका जन्म क्यों और कैसे हुआ ?
3 यदि पर्व छठ का तो अर्घ्य सूर्य भगवान को क्यों ?
4. नदी तालाब या स्वनिर्मित तट पर ही क्यों होती है छठ मैया की पूजा ?
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी एवं सप्तमी तिथि को प्रकृति की देवी षष्ठी देवी अर्थात् छठ मैया एवं प्रकृति के देवता श्री सूर्य भगवान की भक्ति विश्वास और आस्था से पूजा की जाती है .
प्रजापति ब्रह्मा जी ने प्रातःकाल के समय नदी के तट पर कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को अपने मन से प्रकृति के छठे अंश से एक दिव्य कन्या को जन्म दिया जिसका नाम मनसा देवी हुआ और प्रकृति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण इसी मनसा देवी का नाम षष्ठी देवी अर्थात् छठ मैया पड़ा।
छठी मैया ने विधाता से अपने जन्म का उद्देश्य पूछा तो श्री ब्रह्मा जी ने छठ मैया को वरदान दिया कि आप संसार के सभी बच्चों की सुरक्षा करें और जो भी मातायें आपकी पूजा करे उसके सुहाग ,वंश, परिवार,धन संपत्ति आयु आरोग्य और बच्चों की सुरक्षा करें
छठ मैया ने जब अपना निवास स्थान के बारे में पूछा तो विधाता ने कहा कि आपका जन्म नदी तट पर हुआ है और प्रकृति अर्थात् श्री सूर्य भगवान के छठे अंश से इसलिए आज से प्रत्येक महीना के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को आपकी पूजा श्री सूर्य देव की किरण में और नदी तालाब या स्वनिर्मित तट पर आपकी पूजा होगी . श्री सूर्य भगवान में आपका निवास होगा इसलिए आपके नाम से आपकी पूजा श्री सूर्य भगवान को समर्पित अर्घ्य से होगी।
इसलिए छठ मैया की पूजा नदी तालाब या किसी तट पर ही होती है और श्री सूर्य भगवान की किरणों में निवास करने के कारण छठ मैया का अर्घ्य श्री सूर्य भगवान को दी जाती है और वहीं से छठ मैया पूजा स्वीकार कर छठ व्रतियों को अखंड सुहाग धन संपत्ति आयु आरोग्य और बच्चों के सुख पूर्वक दीर्घ जीवन का आशीर्वाद देती हैं।
चुंकि छठ मैया का जन्म कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को हुआ था इसलिए कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी और सप्तमी तिथि को इनकी पूजा की जाती है।
छठ मैया का जन्म माता पार्वती के विशेष आग्रह पर विधाता के मन से हुआ था , उस समय देवताओं को पराजित कर स्वर्ग पर अधिकार करने वाले महान राक्षस वृत्रासुर के साथ संसार के सबसे नन्हें सेनापति पार्वती पुत्र श्री कार्तिक भगवान के साथ हो रहा था . भगवान कार्तिक के पास कोई शक्ति नहीं थी तो उनके अस्त्र शस्त्र से वृत्रासुर का अंत ही नहीं हो रहा था ऐसी स्थिति में युद्ध में भगवान कार्तिकेय को शक्ति प्रदान करने और उनकी रक्षा करने के लिए छठी मैया को युद्ध के मैदान में नियुक्त किया गया और छठ मैया की कृपा से श्री कार्तिक भगवान सुरक्षित विजयी हुए।
उस महान काम के बाद छठ मैया को सभी देवी देवताओं और श्री ब्रह्मा विष्णु महेश ने आशीर्वाद दिया कि आज के बाद कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी और सप्तमी तिथि को जो भी नर नारी आपकी पूजा आराधना करेगा उसे सपरिवार सुख समृद्धि आयु आरोग्य और बच्चों के सुख पूर्वक दीर्घ जीवन की प्राप्ति होगी।
छठ पूजा करने से आयु आरोग्य और बच्चों के सुख पूर्वक दीर्घायु होने के साथ ही सुखद दांपत्य जीवन और चर्मरोग उच्च रक्तचाप दमा आदि शारीरिक एवं मानसिक रोगों पर नियंत्रण होता है।
छठ पूजा से शारीरिक मानसिक एवं आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है क्योंकि यह पर्व प्रकृति की देवी छठ मैया एवं प्रकृति के स्वामी भुवन भास्कर श्री सूर्य देव की पूजा आराधना का महान पर्व है।
जन्मपत्री में जिनके सूर्य कमजोर होने से हर प्रकार के प्रयासों के बावजूद सफलता नहीं मिलती और वो शारीरिक मानसिक और आर्थिक रूप से संकट में हैं तो छठ पूजा अवश्य करें या छठ पूजा में श्रद्धा भक्ति से भाग लें।
सभी छठ व्रतधारियों से निवेदन कि आप अपने बच्चों के सुख पूर्वक दीर्घायु होने के आशीर्वाद के साथ ही साथ अपने बच्चों मे नारी सुरक्षा की भावना के लिए भी प्रार्थना कीजिए।
छठ एक ऐसा पर्व है जिसमें अपने मन आत्मा की पवित्रता के साथ ही साथ नदी तालाब सड़क गली चौराहे घर दरबाजा आदि सबकी सफाई हो जाती है।
छठ पूजा में जाति-पाति छूआछूत साम्प्रदायिक भेदभाव का नामोनिशान नहीं रहता।
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