“छठ की बात”
“छठ की बात”
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अब जानो सब ही, ‘छठ की बात’;
कद्दूभात से हो , पर्व की शुरुआत;
अगले दिन आए , खरना की रात;
व्रती रहते, इन दिनों पूरा उपवास;
कार्तिक व चैत्र, षष्ठी संध्या समय;
पूरा वातावरण हुआ है, भक्तिमय;
डूबते सूर्य की, करे सब आराधना;
शाम वापस आ सब , जल्दी सोए;
फिर सुबह सबको, जल्दी जागना;
भक्त में अर्धरात्रि से दिखे हलचल;
प्रातः के सूर्य निकलने, का हरपल;
सूरज देव जैसे ही दर्शन देते पूरब,
नमन कर दौड़े सब, देने को अरघ;
कोई नारी , बच्चे-बूढ़े हो, या भैया;
गाते हैं,आशीर्वाद दे हो छठी मैया;
ये पर्व नही, महापर्व है आस्था की;
श्रद्धा,समर्पण,भक्ति के वास्ता की;
लोकपर्व है सदा, अपने बिहार की;
बनी है अब, प्रमुख पर्व संसार की।
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स्वरचित सह मौलिक;
…..✍️ पंकज ‘कर्ण’
………….कटिहार।।