Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Oct 2020 · 2 min read

छठी इंद्री

आज तुम्हारी पुण्य तिथि है, राकेश तुम आज ही के दिन मुझे पुत्र पुत्री एवं माता जी को बिलखते छोड़ गये थे। कैसे भूल सकती हूं मैं वह मनहूस दिन। वैसे तो समय से घर पहुंच जाते थे उस दिन देर हो गई थी, मैं अमूमन रोज ही इंतजार किया करती थी, उस दिन ना जाने क्यों कितनी शंका कुशंकाएं चल रहीं थीं, कि दुर्घटना की खबर आ गई, आखिर तुम बच ना सके थे, दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। वर्ष भर तो में अपने कमरे से बाहर ना निकली थी, लेकिन जीवन तो चलाना ही था सो तुम्हारी जगह नौकरी करनी पड़ी, शायद ही कोई दिन गुजरा हो यह आंखें ना वहीं हों, 12 वर्ष का साथ था, कब बच्चे हो गए कब बड़े हो गए, पता ही ना चला।
साथ छोड़े हुए 2 वर्ष हो गए हैं, लगता है एक जीवन निकल गया, एक-एक दिन बरसों के समान कटता है, पल पल तुम्हारी याद आती है। कितने नटखट बच्चे थे, अब कैंसे गुमसुम से रहने लगे हैं। मांजी तो जैंसे बिना आत्मा के यह शरीर ढो रहीं हैं, जैसे दुनिया में कुछ है ही नहीं, यह दुख तो जो भुगतता है वही जान सकता है, आंखों से गंगा जमुना बह निकली।
इन दो वर्षों में इस दो मुही लंपट समाज का भी असली रूप देख लिया। भगवान किसी महिला को यह दिन ना दिखाएं महिला विधवा क्या हुई, कि समाज के सभ्य भेड़िए कैंसी-कैंसी गंदी नियत रखते हैं। भगवान ने महिलाओं को विशेष दृष्टि सिक्स सेंस छठी इंद्री दे रखी है जो ऐसे भूखे भेड़ियों से बचाती है। विधवाओं का ऐसे शरीर के भूखे भेड़ियों से बचना कितना कठिन है, आदमी सोच भी नहीं सकता। परिजन, सगे संबंधी, मित्र सहकर्मी, करीबी, समाज सब ललचाई दृष्टि से देखते हैं, कैसे कैसे बचती है वही समझ सकती है,जो भुक्तभोगी है,जो इन भेड़ियों से अपने आप को बचाती है, सुमन अंतस में राकेश से बातें करते करते रो पड़ी। राकेश जैसे कह रहा हो हिम्मत रखो सुमन तुम्हें लंबी जिंदगी जीना है। बच्चों का भविष्य मां की देखभाल सब तुम्हें करना है। मैं तो तुम्हारी हिम्मत पर उसी दिन आसवस्त हो गया था, जब मित्र की अशिष्टता पर तुमने थप्पड़ जड़ा था। ईश्वर तुम्हें शक्ति प्रदान करें, सदा खुश रखे।

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Language: Hindi
7 Likes · 2 Comments · 654 Views
Books from सुरेश कुमार चतुर्वेदी
View all

You may also like these posts

Real smile.
Real smile.
Priya princess panwar
होते हैं हर शख्स के,भीतर रावण राम
होते हैं हर शख्स के,भीतर रावण राम
RAMESH SHARMA
23/131.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/131.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बरसात
बरसात
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
"सुप्रभात"
Yogendra Chaturwedi
ख़ूबसूरती और सादगी के बीच का यह अंतर गहराई और दृष्टि में छिप
ख़ूबसूरती और सादगी के बीच का यह अंतर गहराई और दृष्टि में छिप
पूर्वार्थ
पितृ दिवस पर....
पितृ दिवस पर....
डॉ.सीमा अग्रवाल
"वो बरसात"
Dr. Kishan tandon kranti
वर्षा
वर्षा
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
*Keep Going*
*Keep Going*
Poonam Matia
विक्रमादित्य के 'नवरत्न'
विक्रमादित्य के 'नवरत्न'
Indu Singh
कठोर व कोमल
कठोर व कोमल
surenderpal vaidya
बड़ा सवाल
बड़ा सवाल
Sudhir srivastava
अकेलापन
अकेलापन
Neeraj Agarwal
मैं खोया हूँ मयखाने में...
मैं खोया हूँ मयखाने में...
रमाकान्त पटेल
प्यार की गहराई इतनी की,
प्यार की गहराई इतनी की,
श्याम सांवरा
सावन झड़ी
सावन झड़ी
Arvina
देश के संविधान का भी
देश के संविधान का भी
Dr fauzia Naseem shad
Bundeli Doha pratiyogita-149th -kujane
Bundeli Doha pratiyogita-149th -kujane
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*तानाजी पवार: जिनके हाथों में सोने और चॉंदी के टंच निकालने क
*तानाजी पवार: जिनके हाथों में सोने और चॉंदी के टंच निकालने क
Ravi Prakash
तू बढ़ता चल....
तू बढ़ता चल....
AMRESH KUMAR VERMA
गम के पीछे ही खुशी है ये खुशी कहने लगी।
गम के पीछे ही खुशी है ये खुशी कहने लगी।
सत्य कुमार प्रेमी
बुद्ध पूर्णिमा शुभकामनाएं - बुद्ध के अनमोल विचार
बुद्ध पूर्णिमा शुभकामनाएं - बुद्ध के अनमोल विचार
Raju Gajbhiye
पापा
पापा
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
जिस माहौल को हम कभी झेले होते हैं,
जिस माहौल को हम कभी झेले होते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
गृहस्थ-योगियों की आत्मा में बसे हैं गुरु गोरखनाथ
गृहस्थ-योगियों की आत्मा में बसे हैं गुरु गोरखनाथ
कवि रमेशराज
*तुम अगर साथ होते*
*तुम अगर साथ होते*
Shashi kala vyas
सब कुछ मिट गया
सब कुछ मिट गया
Madhuyanka Raj
Poetry Writing Challenge-3 Result
Poetry Writing Challenge-3 Result
Sahityapedia
मायूस ज़िंदगी
मायूस ज़िंदगी
Ram Babu Mandal
Loading...