छछूंदर के सिर पर चमेली का तेल।
गजब निराली तेरी माया
जो ना अधिकारी वही है पाया
जिसको धन की कदर नहीं है
वही कुबेर खजाना पाया।
धन दौलत के बूते पर ही
समाज में उसने नाम कमाया
पर जिसको वाणी विद्या दे दी
वह तो दर-दर ठोकर खाया।
मारा मारा फिरे बेचारा
दुनिया देखे उसका खेल।
गधे के सिर पर ताज मिले
रेस में हो रहे घोड़े फेल।
भाग्य के हाथों से ही लगे हैं
छछूंदर के सिर पर चमेली का तेल।
-विष्णु ‘पाँचोटिया