छंद
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!! श्रीं !!
सुप्रभात ! जय श्री राधेकृष्ण !
शुभ हो आज का दिन !
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सिंधु छंद- 21 मात्रा (मापनीयुक्त)
1222. 1222 1222
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करें हम कामना हे शारदे माता ।
सभी हैं लाल तेरे प्यार दे माता ।।
उजाला आज उर में ज्ञान का भर दे ।
रचें नित छंद नूतन माँ हमें वर दे ।।
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चंचला छंद- वर्णिक – 16 वर्ण
212 121 212 121 212 1
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रोज हो रहा अनर्थ हो परंतु आप मौन ।
रोक जो रहा तुम्हें बताइये न आप कौन?
तोड़ दीजिये न मौन शस्त्र लीजिये न धार ।
जान के करे न युद्ध क्यों उसे वरे न हार ?
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मदलेखा छंद- वर्णिक- 7 वर्ण
222 112 2
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प्यारा देश हमारा ।
प्राणों से यह प्यारा ।।
भाषाएँ अति प्यारी ।
जैसे हों महतारी ।।
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
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