चौपाल
बूढ़ा बरगद के तले, लगता सदन विशाल।
सभी समस्या हल करें,लगता जब चौपाल।। १
चौपाल लगाकर सुने, ग्रामीणों का हाल।
आपस में सहयोग से, आनंदित दृगपाल।। २
युवा बुजुर्गों संग में, चर्चा करें कमाल।
ढोल-नगाड़े से सजा, सुखदाई चौपाल।। ३
दिन में करते काम सब, संध्या को चौपाल।
आपस में मिल जानते, जग जीवन का हाल।। ४
भोले-भाले लोग सब, साहुकार का जाल।
कर्जे से बेहाल हो, पहुचें हैं चौपाल।। ५
शहरों का जादू चला,बचा नहीं चौपाल।
गाँव घरौंदे मिट रहे , जन जीवन बेहाल।। ६
टीवी इन्टरनेट का, लगा फैलने जाल।
बदला-बदला गाँव है, बदल गया चौपाल।। ७
बूढ़ा बरगद मौन है, गुमसुम है चौपाल।
शहरों जैसा ही हुआ,अब गावों का हाल।। ८
लगा दौड़ने ‘गाँव रथ’, तेज नेट की चाल।
लाए हैं अब फेसबुक, मोबाइल चौपाल।। ९
नई मुहिम से जुड़कर, हुआ गाँव खुशहाल।
बना झरोखा देश का, मोबाइल चौपाल।।
-लक्ष्मी सिंह