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4 Aug 2018 · 1 min read

चौपाल

बूढ़ा बरगद के तले, लगता सदन विशाल।
सभी समस्या हल करें,लगता जब चौपाल।। १

चौपाल लगाकर सुने, ग्रामीणों का हाल।
आपस में सहयोग से, आनंदित दृगपाल।। २

युवा बुजुर्गों संग में, चर्चा करें कमाल।
ढोल-नगाड़े से सजा, सुखदाई चौपाल।। ३

दिन में करते काम सब, संध्या को चौपाल।
आपस में मिल जानते, जग जीवन का हाल।। ४

भोले-भाले लोग सब, साहुकार का जाल।
कर्जे से बेहाल हो, पहुचें हैं चौपाल।। ५

शहरों का जादू चला,बचा नहीं चौपाल।
गाँव घरौंदे मिट रहे , जन जीवन बेहाल।। ६

टीवी इन्टरनेट का, लगा फैलने जाल।
बदला-बदला गाँव है, बदल गया चौपाल।। ७

बूढ़ा बरगद मौन है, गुमसुम है चौपाल।
शहरों जैसा ही हुआ,अब गावों का हाल।। ८

लगा दौड़ने ‘गाँव रथ’, तेज नेट की चाल।
लाए हैं अब फेसबुक, मोबाइल चौपाल।। ९

नई मुहिम से जुड़कर, हुआ गाँव खुशहाल।
बना झरोखा देश का, मोबाइल चौपाल।।
-लक्ष्मी सिंह

Language: Hindi
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