चैन का बसेरा
सोचता हूं कभी
दूर पहाड़ों मे
मेरा भी इक
घर होता ।
स्वच्छंद हवाओं का
नित घेरा
और सबसे पहले
सवेरा होता ।
शहर के अनंत
कोलाहल से बहुत दूर
चैन का वो
बसेरा होता ।
ऊंचे आसमान मे
चमकते तारों
और हसीन वादियों का
नज़ारा होता ।।
राज विग 18.09.2021