चैत्र माह का हैं उपहार
नव नव पल्लव सज्जित तरुवर
चैत्र माह का हैं उपहार ,
कोमल कोपल महक डाल पर
करती सुरभित पवन बयार ।
मानो वृक्ष वर बन सँवरकर
सेहरे की लड़ियाँ रहे सँवार
नव वधू सी सजी धरा है
हो पुष्प मालाओं से तैयार ।
कुछ धानी कुछ पीत वर्ण की
पहने बाली कनक – क्यार
आम डाल पर मंजरी झूमे
कोकिल गाए बसंत बहार ।
कण कण में बिखरा सौंदर्य
करता हृदय में सुख संचार
रंग पर्व के अभिनंदन में
सजती वसुधा सोलह शृंगार ।
डॉ रीता सिंह
चन्दौसी ,सम्भल