चेहरा पढ़ना सबको नहीं आता
चेहरा पढ़ना सबको नहीं आता,
दिल में उतरना सबको नहीं आता ।
सितारों की तरह सभी बन सकते है ,
सूरज सा जलना सबको नहीं आता ।
कोशिश तो सब ही करते रहते हैं,
क़िस्मत बदलना सबको नहीं आता।
चलना, दौड़ना मुश्किल कहां है,
गिरकर सम्भलना सबको नहीं आता ।
खिलना,महकना तो आम बात है,
हवा में बिखरना सबको नहीं आता।
रब से दुवाएं मांगना आसान है,
चारों पहर तड़पना सबको नहीं आता।
नशे में तो हर कोई शेर बनता है,
होश में बहकना सबको नहीं आता।
अपनी खुशियां तों सब ही मनाते हैं,
गैरों की खुशी में चहकना सबको नहीं आता।
नूर फातिमा खातून” नूरी”
जिला- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश