चेहरा अश्कों से नम था
पेश है पूरी ग़ज़ल…
माना कि जो था वो मेरा वहम था।
पर जिन्दगी के लिए वो बड़ा अहम था।।1।।
हमने तो रूह से मोहब्बत की थी।
जो तुमने किया वह हम पर सितम था।।2।।
दूर जाकर जो अजनबी बन गया है।
राहे सफर में वह हमारा ही हमदम था।।3।।
झूठी मुस्कुराहट थी उसके लबों पर
क्यूंकि उसका चेहरा अश्कों से नम था।।4।।
सूरत के संग सीरत भी थी उसमे।
तभी हर दिल उसका ख्वाहिशमंद था।।5।।
हर परेशानी को आसानी से जीता।
जिंदगी जीने में वह बड़ा हुनरमंद था।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ