चेन की नींद
(पति पत्नी की प्यार भरी नौक झौंक)
अरे ! भाग्यवान
रोज कहता हूं मीठा मत खाओं।
पर मिठाई देखते ही टूट पड़ती हो।
और इधर, मच्छर तुम्हें देखकर!
लगता है उन्हें पता चल गया है कि तुम्हें शुगर हो गई है।
नामुराद (मच्छर)
तुझसे मेरी बीवी की खुशियां देखी नहीं जाती।
मेरी रोज़ी तो नाक पर मक्खी को भी बैठने नही देती
और
एक तुम हो !
पीछा ही नहीं छोड़ते।
हाथ में चप्पल ले ,मच्छर के पीछे भाग खड़े हुए।
गहरी सांस ली!
चलों दोनों से ही छुटकारा मिला।
रोज़ी का बहुत बुरा हाल, उसे मच्छर के काटने से इलर्जी
खीजते हुए वोली____
तुझे मच्छर भगाने का कहा__
यहां तो
तू ही भाग खड़े हुआ।
अरें ! हजारों बार कह चुका __
थोड़ी साफ सफाई से रहा करों।
क्या करूं?
इंदौर सफाई में नम्बर वन!
और घर गंदगी में!
सड़क पर घूमता हूं दोनों से ही पीछा छूडाना जो है।
कुछ देर आवाज नहीं आई।
लगता है रोज़ी सो गई।
अवे!
गधे___
जरा सोने तो दे तूं
ट्रेन चला – चला(घुराने की आवाज) कर मच्छरों को मत जगा।
अरे मेरी जान!
कचरा वाला भोंपू बजा रहा है।
चारों तरफ
कचरा ही कचरा
उफ़!
सफाई करते- करते
सोचा__
क्यों ना
आज जन्मदिन पर मच्छर दानी उपहार में देता हूं।
“एक पंथ दो काज ”
रोज़ी संग करेंगे हमराज़
बीमारियों से छुटकारा।
और
रोज़ी और मैं
चेन की नींद सोयेंगें।
विभा जैन (ओज्स)
इंदौर (मध्यप्रदेश)