चेतावनी
बेरहम इन्सान
प्रकृति से खिलवाड़
बढ़ता प्रदूषण
घटता जल स्तर
कांक्रीट के महल
कटते वृक्ष
घटते जंगल
बिगड़ता पर्यावरण
तबाही ही तबाही
बिलखता इन्सान
बैचैन वसुंधरा
माँ का प्यार
धरती का दुलार
सहती विपदा
बनाती संतुलन
देती चेतावनी
बार बार
अब भी चेतो
हे इन्सान
मत बनो हैवान
आत्मा है सब में
जीव जन्तु हो या
इन्सान
करते क्यों बेजुबां
पर अत्याचार
बन कर कहर ढाता
कोरोनावायरस
व्याकुल है धरा
रूक गयी
दुनियां की धारा
अब भी सुधर जा
ऐ इन्सान
व्याकुल है वसुंधरा
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल