चूड़ियों की दास्तान
गर लड़कियों ने पहनी है चूड़ी,
तो न समझिए कि उनकी है, कोई मजबूरी ।
चूड़ियों की खनक से, निकलती है जो ऊर्जा,
सींचती वह प्राण सबके, उतार न पाओगे उनका कर्जा।
चूड़ियों को कहते हो, कायरता की निशानी,
जनाब ! उसके खनक की तो दुनिया है दीवानी ।
गूँज ममता की, हर पल सुनाई देती है,
स्नेह से वह अपने, सबमें पोषण भरती है ।
गर लड़कियां पहनती न चूड़ियाँ,
कैसे मिटती, दिलों की यह दूरियाँ ?
तप्त गर्मी में भी, वह ठंडा-सा जल है,
काया कर शीतल, भरती मन में उमंग है ।
ध्यान रहें, अब ना बनें मज़ाक हमारी चूड़ियों पर,
शक हो तो, नज़र डालिए इतिहास के पन्नों पर ।
चूड़ियों वाले हाथों ने भी, सन् 57 में तलवार उठाया था,
देश प्रेम की अग्नि को लक्ष्मीबाई ने ही सुलगाया था ।
~ज्योति