चुप रहो साथियो
चीख है,पुकार है
फिर भी सन्नाटा है,
नैतिकता के गाल पर
अनैतिकता का चाँटा है |
सत्य की जबान पर
आततायी पहरा है |
चुप रहो साथियो
षडयंत्र कोई गहरा है |
पुरस्कृत होना है
तो राष्ट्र का विरोध कर,
सत्य को असत्य बता
ऐसा कोई शोध कर |
बहते हुए पानी को
बोल दे कि ठहरा है |
चुप रहो साथियो
षडयंत्र कोई गहरा है |
धर्म की ,संस्कृति की
बात नहीं करना,
बेवजह बताओ भाई
काहे को मरना |
हर तरफ मुखौटे हैं
चेहरे पर चेहरा है |
चुप रहो साथियो
षडयंत्र कोई गहरा है |
-वसंत जमशेदपुरी