Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Mar 2022 · 1 min read

चुनौतियाँ

हैं
चुनौतियां
बहुत
जिन्दगी में

है
नहीं
जिन्दगी
बिना चुनौतियों के

जो
लड़े
चुनौतियों से
बढ़ते गये आगे
और आगे
वही
पहुंचे
मुकाम पर
बने उदाहरण
दूसरों के लिए
बनो
जुझारू
लक्ष्य
तलक
पहुंचना ही है
चुनौतियां ही
पहुंचाएगी
सफलता के
द्वार तक

लेखक
संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
185 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कानून?
कानून?
nagarsumit326
हक़ीक़त
हक़ीक़त
Shyam Sundar Subramanian
मृदा मात्र गुबार नहीं हूँ
मृदा मात्र गुबार नहीं हूँ
AJAY AMITABH SUMAN
आप हँसते हैं तो हँसते क्यूँ है
आप हँसते हैं तो हँसते क्यूँ है
Shweta Soni
@ खोज @
@ खोज @
Prashant Tiwari
Kalebs Banjo
Kalebs Banjo
shivanshi2011
2644.पूर्णिका
2644.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
"आशा-तृष्णा"
Dr. Kishan tandon kranti
यदि कोई अपनी इच्छाओं और आवश्यकताओं से मुक्त हो तो वह मोक्ष औ
यदि कोई अपनी इच्छाओं और आवश्यकताओं से मुक्त हो तो वह मोक्ष औ
Ms.Ankit Halke jha
शीर्षक – शुष्क जीवन
शीर्षक – शुष्क जीवन
Manju sagar
बस एक गलती
बस एक गलती
Vishal babu (vishu)
किसी की किस्मत संवार के देखो
किसी की किस्मत संवार के देखो
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
खुद को परोस कर..मैं खुद को खा गया
खुद को परोस कर..मैं खुद को खा गया
सिद्धार्थ गोरखपुरी
ग़ज़ल कहूँ तो मैं ‘असद’, मुझमे बसते ‘मीर’
ग़ज़ल कहूँ तो मैं ‘असद’, मुझमे बसते ‘मीर’
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
प्रेम पीड़ा
प्रेम पीड़ा
Shivkumar barman
बिधवा के पियार!
बिधवा के पियार!
Acharya Rama Nand Mandal
माह सितंबर
माह सितंबर
Harish Chandra Pande
कविता
कविता
Sushila joshi
जब बहुत कुछ होता है कहने को
जब बहुत कुछ होता है कहने को
पूर्वार्थ
झूठ के सागर में डूबते आज के हर इंसान को देखा
झूठ के सागर में डूबते आज के हर इंसान को देखा
Er. Sanjay Shrivastava
खुद पर ही
खुद पर ही
Dr fauzia Naseem shad
ग़ज़ल- तू फितरत ए शैतां से कुछ जुदा तो नहीं है- डॉ तबस्सुम जहां
ग़ज़ल- तू फितरत ए शैतां से कुछ जुदा तो नहीं है- डॉ तबस्सुम जहां
Dr Tabassum Jahan
विचार और भाव-1
विचार और भाव-1
कवि रमेशराज
कलम के सहारे आसमान पर चढ़ना आसान नहीं है,
कलम के सहारे आसमान पर चढ़ना आसान नहीं है,
Dr Nisha nandini Bhartiya
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।
Shashi Dhar Kumar
#लघुकथा
#लघुकथा
*Author प्रणय प्रभात*
शुभ रात्रि मित्रों.. ग़ज़ल के तीन शेर
शुभ रात्रि मित्रों.. ग़ज़ल के तीन शेर
आर.एस. 'प्रीतम'
*पापा (बाल कविता)*
*पापा (बाल कविता)*
Ravi Prakash
दर्शक की दृष्टि जिस पर गड़ जाती है या हम यूं कहे कि भारी ताद
दर्शक की दृष्टि जिस पर गड़ जाती है या हम यूं कहे कि भारी ताद
Rj Anand Prajapati
💐प्रेम कौतुक-479💐
💐प्रेम कौतुक-479💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Loading...