चुनिंदा अशआर
लफ़्ज़ों में पिरो लेते है ,
एहसास के मोती ।
हमें इजहार-ए-तमन्ना का
सलीक़ा नहीं आता ।।
सारे एहसास के रिश्तों से मुकर जाते हैं ।
जब हक़ीक़त के सवालों से गुज़र जाते हैं ।।
दरक जाते हैं पल-भर में ।
बहुत हस्सास होते हैं
ये एहसास के रिश्ते ।।
एहसास कोई रूलाता नहीं है ।
यूं ही भीग जाती हैं आंखे हमारी ।।
इतने एहसास दर्द देते हैं ।
दर्द होता है सांस लेने में ।।
हमको एहसास अब नहीं होता ।
हमने मजबूरियों को समझा है ।।
एक एहसास ही था तेरा |
मेरे एहसास में रहा बाकी ॥
दर्द को फिर राहते नहीं मिलती।
लफ़्ज़ एहसास जब सिमट जाए ।।
एक दर्द- ए-एहसास जिसे कह न पाऊं कहीं ।
गुज़रते वक़्त की मानिंद गुज़र न जाऊं कहीं ।।
मेरे एहसास का तुम्ही मरकज़ ।
जब भी सोचेंगे तुमको सोचेंगे ।।
नज़ारा दर्द का पल भर में बदल जाए।
दिलों को दर्द का अगर एहसास मिल जाए ।।
कुछ लम्हें ऐसे गुज़रे कभी बारिशों में भीगे ।
कभी ली गुलों की खुशबू कभी बारिशों में भीगे ।।
तू बिछड़ के देख लेना
एहसास तुझको होगा ।
मुझे दर्द कोई होगा
तो एहसास तुझको होगा ।।
दर्द होता है सांस लेने में ।।
एहसास कोई रूलाता नहीं है ।
यूँ ही भीग जाती हैं आंखें हमारी ।।
दर्द-ए-एहसास ही पता देगा ।
ज़िंदगी के करीब कितने हैं ।।
हर एहसास मुस्कुराता है कोई तसदीक पाकर ।
कहां फिर दूर जाता है कोई नज़दीक आकर ।।
दिल के एहसास की ज़रूरत हो ।
हम तुम्हें सोचते हैं हर लम्हा ।।
ये भी एहसास का तकाज़ा है ।
दर्द आकर तुझी पे रुकता है ।।
ज़रा सी ठेस लगने पर ,
दरक जाते हैं पल-भर में ।
बहुत हस्सास होते हैं,
ये एहसास के रिश्ते ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद