चुनाव है क्या?
कुछ ज्वलन्त सवाल
माननीय लोग बेहाल।।
सर पकड़ के बैठे हो साहब ,दिमाग में भारी तनाव है क्या ?
पहले कभी हाल पूछा न मेरा ,बैठे हो आके कोई लगाव है क्या?
रहते थे तुम दर से बदर, अब आये हो दर पे चुनाव है क्या?
दावत देने की होड़ जब लगेगी!
बकरे संग मुर्गे पर बोतल चलेगी!
मदमस्त हो जब पूँछेंगे बम्मड ,कि इसके साथ पुलाव है क्या?
रहते थे तुम दर से बदर, अब आये हो दर पे चुनाव है क्या?
क्या तुमने इससे पहले मेरा हाल पूछा!
आज बनते हो अपना ये कैसे सूझा!
बड़ी मिन्नतों से कहते हैं साहब ,कि मुझसे कोई दुराव है क्या?
रहते थे तुम दर से बदर, अब आये हो दर पे चुनाव है क्या?
जब जरूरत थी मुझको जरा इतना बता दो तुम उस पल कहाँ थे!
आज आकर के बनते हो मेरे हितैषी इतना बता दो की कल तुम कहाँ थे!
दहकती दुपहरी में आये हो घर पे, यहाँ बहुत छांव है क्या?
रहते थे तुम दर से बदर, अब आये हो दर पे चुनाव है क्या?
– सिद्धार्थ पांडेय