चुनाव दौर
आ रहा प्रदेश में चुनाव दौर ले कर नया एलान
प्रदेश के शान्त माहोल को करने को परेशान
चुनाव लड़ रहे नेताओं की बन जाती हैं टोलियाँ
विजयी होने हेतु फैलाते दर दर अपनी झोलियाँ
बरसाती मेंढक आ गए सुनाने को झूठे फरमान
पाँच वर्ष अंजान बने रहे कहते हैं उस दिन भैया
कीमती मत डाल कर हमारी पार लगा दो नैया
पाखंडी ढोंगी आ गए विद्वानों को बनाने नादान
मतदान दिवस पूर्व चिपती हैं जगह जगह तस्वीरें
कौन सा नेता कौन से दल का यह बताने के लिये
नकली मुखौटे लगा आ गए वो बन कर सूझवान
लड्डू बर्फी जलेबी भोज के भंडारे लगाए हैं जाते
हमें सफल बनाओ भैया देते हैं झूठी खूब दलीलें
सोदेबाज व्यापारी आ गए ,हैं लालच देने को बैचेन
लदी कार जीपों को शहर गाँव खूब घुमाया जाता
मतों के लिए करबद्ध शीशों को झुकाया है जाता
चुनावी दृष्टिकोण से मौसमी परिंदे भरते हैं उड़ान
गर्मजोशी गर्मागर्मी में हो जाता है आपस में दंगा
सिर थोबड़े फूटने पर चुनाव पड़ जाता है ठण्डा
भाईचारा,शान्त,शालीन माहोल होता लहूलुहान
मतदान दिवस पर चुनाव केंद्र में होता है यह हाल
मतदान भुगतान खींचातानी में दवाब से बुरा हाल
दवाब में दबंग और मलंग करवाते हैं फर्जी मतदान
प्रतयाशी मुख पर हार जीत का भय है छाया रहता
मतदान नतीजे घोषित का इंतजार बेसब्री से रहता
विजयी प्रत्याशी रफूचक्कर होते लेकर जीत परवान
आ रहा प्रदेश में चुनाव दौर ले कर नया एलान
प्रदेश के शान्त माहोल को करने को परेशान
सुखविंद्र सिंह मनसीरत