चुनाव के लिए
चलो चुनाव के लिए स्वयं को तो तलाश लें।
सुदृढ़ समाज के लिए खोज एक प्रकाश लें।
बुरी तरह विकृत हुआ चुनाव के ये वास्ते।
निम्नता के तल तलक गिर गये हैं रास्ते।
कोटि एक लाख तीस है विमूढ़ सा खड़ा।
किसे दें सौंप कल यही सोचता गड़ा-गड़ा।
वायदों का जन्म तो बहुत हुआ।
अकाल काल में मौन हो वह मरा।
अब समाज के लिए उठा है कोई ‘देह’?देख।
किस विचार में विकास लक्ष्य,वैसा नेह देख।
कौन! जानता तुम्हारे जिन्दगी का हर संघर्ष।
कौन त्याग सुख,समृद्धि आ खड़ा हुआ सहर्ष।
वह तुम्हें जो राष्ट्र दे,वह तुम्हें जो स्वाभिमान।
राष्ट्र तेरे व्यक्ति को,मान तुझमें स्थित जो प्राण। ।
वंशवाद लूटने को है खड़ा रोटी,वस्त्र और मकान।
जाति,धर्म में बंटो न,लुभावने हैं रिक्त पर,सावधान।
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