“चीख रही क्यु बेटी है”
चीख रही क्यु बेटी है…
चीख रही अब बेटी है..
हर गली,मुहल्ला,गाँओ-शहर मे..
पीस रही क्यु बेटी है…
चीख रही क्यु बेटी है..
चीख रही अब बेटी है..
खुन-पसिना देकर के अब,
मुल्क को अपने सींच रही है..
मुल्क मे अपने तालीम से लेकर,
परदेश मे तमका जीत रही है..
इतनी कुर्बानी देकर भी,
क्यु पीस रही अब बेटी है..?
चीख रही क्यु बेटी है..
चीख रही अब बेटी है..
सानिया,साईना,मैरी-काम,
और जूढ़ाऊ कितने नाम..
मुल्क का बनके विकास का पहिया,
खींच रही अब बेटी है..
चीख रही क्यु बेटी है..
चीख रही अब बेटी है..
(जैद बलियावी)