चिड़िया का सोना
थकते नहीं कहते कहते हम
था कल
देश हमारा सोने की चिड़िया ।
अब आज
अनुत्तरित यह प्रश्न कि
क्या हुआ कि सहसा चिड़िये से खो गया स्वर्ण।
पाषाण युग का शहर
तब नग्नता मजबूरी थी
अब सभ्यता है।
जीवन एकाकी था
अब भीड़ में एकान्तता
सामूहिकता थी तब बचाव के लिए
हिंस्र पशुओं से
अब है हमले के लिए।
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