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29 Jan 2021 · 1 min read

“चिड़ियाघर”

चैत का महिना उमस से रोज तपता दिन,
ग्रीष्‍म के अवकाश में तुम ज़ू कभी जाओ।
शेर, हाथी, तेंदुआ, चीतल, चिकारा मृग,
अश्‍व, सॉंभ्‍ार,रीछ को तुम पास में पाओ ।

जंगलों में हाथियों के शोर को सुनकर,
शेर, चीता, तेंदुआ सब भाग जाते हैं।
गॅूंजता है घोर गरजन थर-थराता वन ,
भय से व्‍याकुल जानवर सब खौफ खाते हैं।

पक्षियों के झुण्‍ड पेडों पर विचरते हैं ,
बोलियॉं उनकी हमें कितना लुभाती हैं।,
तुम कभी उन पंक्षियों की बोलियॉं बोलो
जो तुम्‍हें उन घोंसलों से रोज आती हैं ।

रचनाकाल
तिथि —- २५ अप्रैल २०१८

जगदीश शर्मा सहज
अशोकनगर म0प्र0

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