चिर मिलन
बांसुरी बजे उठी तुमने क्या गा दिया
मानो अमृत घटाओं ने बरसा दिया
गुनगुनाते अधर मुस्कुराते नयन
मन की वीणा को सहसा ही सरसा दिया
जब उठाए नयन झांकियां सज उठी
जब झुकाए नयन घंटियां बज उठी
कली खिलने लगी पवन गाने लगी
मृदु लताओं को वृक्षों ने लिपटा लिया
चल रही है बसंती पवन मद भरी
पुष्प वल्लव नए डालियों पर खिले
तुम हमारे हुए हम तुम्हारे हुए
जन्मों के बिछड़े थे तुमने अपना लिया