चिराग
जला दो एक चिराग मेरे भी आशियाने में,
कमबख्त बरसों से रौशनी देखी हीं नहीं।
देखने को तो दिखतें हैं फलक पर सितारें कई,
दिल की जमीं को रौशन करें जो वो शमा देखीं हीं नहीं।
जला दो एक चिराग मेरे भी आशियाने में,
कमबख्त बरसों से रौशनी देखी हीं नहीं।
देखने को तो दिखतें हैं फलक पर सितारें कई,
दिल की जमीं को रौशन करें जो वो शमा देखीं हीं नहीं।