Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jan 2024 · 2 min read

चिन्ता करू या चिन्तन क्योंकि

मेरी चिन्ता राम करें, मैं तो करूँ राम का चिन्तन ।
प्राण प्रतिष्ठा होनी अब हैं, मैं तो करूँ राम का वन्दन ।।1।।
करी प्रतिक्षा पाँच सदी हैं, मैं तो करूँ राम अभिनंदन ।
हुए बलिदान पाँच लाख हैं, मैं तो करूँ राम आलिंगन ।।2।।

मेरी चिन्ता राम करें हैं, मैं तो करूँ राम का चिन्तन ।
अवधपुरी के रामलला हैं, मैं तो करूँ राम का पूजन ।।3।।
कौशल्या के राम दुलारे, मैं तो करूँ राम का सुमिरन ।
सीता माँ के पति राम हैं, मैं तो करूँ राम के दर्शन ।।4।।

मेरी चिन्ता राम करें हैं, मैं तो करूँ राम का चिन्तन ।
विश्वामित्र के शिष्य राम हैं, मैं तो करूँ राम अनुशीलन ।।5।।
जनकपुरी के मान राम हैं, मैं तो करूँ राम को चंदन ।
शिला अहिल्या तारक राम, मैं तो करूँ राम को तर्पण ।।6।।

मेरी चिन्ता राम करें, मैं तो करूँ राम का चिन्तन।
निषादराज के सखा राम हैं, मैं तो चलूँ राम के पग संग ।।7।।
सबुरी के तो सब्र राम हैं, जाको खाए राम भी झुटन ।
बजरंगी के बल भी राम हैं, जिनते डरे काल भी हरदम ।।8।।

मेरी चिन्ता राम करें, मैं तो करूँ राम का चिन्तन।
वानर राज के मित्र राम हैं, मैं तो करूँ राम को अर्पण ।।9।।
रीकक्षराज की आस राम हैं, मैं तो भजू राम को मन-मन ।
पक्षीराज की मुक्ति राम हैं, मैं तो बधा राम से हरदम ।।10।।

मेरी चिन्ता राम करें, मैं तो करूँ राम का चिन्तन ।
लंक दहन के रूप राम थे, मैं तो जपूं राम को मन-मन ।।11।।
समुद्र देव से खफा राम थे, मैं तो रखूं राम सा तन-मन ।
रामसेतु के जनक राम हैं, मैं तो बनूं राम का गुंजन ।।12।।

मेरी चिन्ता राम करें, मैं तो करूँ राम का चिन्तन ।
रावण के संहारक राम थे, मैं तो बधा राम से हरदम ।।13।।
अग्नि परीक्षा रची राम ने, माँ सीता को करने कुन्दन ।
भरत भाई की आस राम हैं, मैं भी राम भरोसे लक्ष्मण ।।14।।

मेरी चिन्ता राम करें, मैं तो करूँ राम का चिन्तन ।
धोभी के भी मन मे राम थें, कहे शब्द जो उसने एकदम ।।15।।
बाल्मीकि के इष्ट राम थें, जपा मरा को उसने निसदिन ।
लव-कुश के तो पिता राम हैं, राम कथा को गाया संग-संग ।।16।।

मेरी चिन्ता राम करें, मैं तो करूँ राम का चिन्तन ।
राम भरोसे ललकार खड़ा हैं, मैं तो ललित का हूँ बस दर्पण ।।17।।
नाम राम के जीवन सारा, राम जपे दिन रात ललित तो ।
राम नाम ही मुक्ति मार्ग, राम हैं ममता के परिचायक ।।18।।

मेरी चिन्ता राम करें और मैं तो करूँ राम का चिन्तन…
मैं तो करूँ राम का चिन्तन, मैं तो करूँ राम का चिन्तन

– ललकार भारद्वाज

Language: Hindi
1 Like · 103 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ललकार भारद्वाज
View all
You may also like:
अंधा वो नहीं होता है
अंधा वो नहीं होता है
ओंकार मिश्र
प्रेम की लीला
प्रेम की लीला
Surinder blackpen
अगहन कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के
अगहन कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के
Shashi kala vyas
ग़म भूल जाइए,होली में अबकी बार
ग़म भूल जाइए,होली में अबकी बार
Shweta Soni
कलियों सा तुम्हारा यौवन खिला है।
कलियों सा तुम्हारा यौवन खिला है।
Rj Anand Prajapati
हमेशा कोई जगह खाली नहीं रहती,
हमेशा कोई जगह खाली नहीं रहती,
Manju sagar
यादों के अथाह में विष है , तो अमृत भी है छुपी हुई
यादों के अथाह में विष है , तो अमृत भी है छुपी हुई
Atul "Krishn"
मैं लिखूंगा तुम्हें
मैं लिखूंगा तुम्हें
हिमांशु Kulshrestha
" दोहरा चरित्र "
DrLakshman Jha Parimal
*शीतल शोभन है नदिया की धारा*
*शीतल शोभन है नदिया की धारा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
पाँव में खनकी चाँदी हो जैसे - संदीप ठाकुर
पाँव में खनकी चाँदी हो जैसे - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कभी-कभी अकेला होना
कभी-कभी अकेला होना
Chitra Bisht
तुमको सोचकर जवाब दूंगा
तुमको सोचकर जवाब दूंगा
gurudeenverma198
भारत के वायु वीर
भारत के वायु वीर
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मुझे प्यार हुआ था
मुझे प्यार हुआ था
Nishant Kumar Mishra
वो एक संगीत प्रेमी बन गया,
वो एक संगीत प्रेमी बन गया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
* छलक रहा घट *
* छलक रहा घट *
surenderpal vaidya
इस जहां में देखा हमने हर चीज का तोड़ है,
इस जहां में देखा हमने हर चीज का तोड़ है,
Keshav kishor Kumar
.....हा हा दो पैरों वाले सभी .आवारा पशु
.....हा हा दो पैरों वाले सभी .आवारा पशु
Dr.Pratibha Prakash
तुम्हारे प्यार के खातिर सितम हर इक सहेंगे हम।
तुम्हारे प्यार के खातिर सितम हर इक सहेंगे हम।
सत्य कुमार प्रेमी
ये कैसा घर है. . .
ये कैसा घर है. . .
sushil sarna
*बेचारे लेखक का सम्मान (हास्य व्यंग्य)*
*बेचारे लेखक का सम्मान (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
आज का युग ऐसा है...
आज का युग ऐसा है...
Ajit Kumar "Karn"
मोहब्बत में कब तक रुलाते रहेंगे।
मोहब्बत में कब तक रुलाते रहेंगे।
Phool gufran
नवतपा की लव स्टोरी (व्यंग्य)
नवतपा की लव स्टोरी (व्यंग्य)
Santosh kumar Miri
आदमी खरीदने लगा है आदमी को ऐसे कि-
आदमी खरीदने लगा है आदमी को ऐसे कि-
Mahendra Narayan
समय को पकड़ो मत,
समय को पकड़ो मत,
Vandna Thakur
मन की चंचलता बहुत बड़ी है
मन की चंचलता बहुत बड़ी है
पूर्वार्थ
मौत बाटे अटल
मौत बाटे अटल
आकाश महेशपुरी
Loading...