चिन्ता करू या चिन्तन क्योंकि
मेरी चिन्ता राम करें, मैं तो करूँ राम का चिन्तन ।
प्राण प्रतिष्ठा होनी अब हैं, मैं तो करूँ राम का वन्दन ।।1।।
करी प्रतिक्षा पाँच सदी हैं, मैं तो करूँ राम अभिनंदन ।
हुए बलिदान पाँच लाख हैं, मैं तो करूँ राम आलिंगन ।।2।।
मेरी चिन्ता राम करें हैं, मैं तो करूँ राम का चिन्तन ।
अवधपुरी के रामलला हैं, मैं तो करूँ राम का पूजन ।।3।।
कौशल्या के राम दुलारे, मैं तो करूँ राम का सुमिरन ।
सीता माँ के पति राम हैं, मैं तो करूँ राम के दर्शन ।।4।।
मेरी चिन्ता राम करें हैं, मैं तो करूँ राम का चिन्तन ।
विश्वामित्र के शिष्य राम हैं, मैं तो करूँ राम अनुशीलन ।।5।।
जनकपुरी के मान राम हैं, मैं तो करूँ राम को चंदन ।
शिला अहिल्या तारक राम, मैं तो करूँ राम को तर्पण ।।6।।
मेरी चिन्ता राम करें, मैं तो करूँ राम का चिन्तन।
निषादराज के सखा राम हैं, मैं तो चलूँ राम के पग संग ।।7।।
सबुरी के तो सब्र राम हैं, जाको खाए राम भी झुटन ।
बजरंगी के बल भी राम हैं, जिनते डरे काल भी हरदम ।।8।।
मेरी चिन्ता राम करें, मैं तो करूँ राम का चिन्तन।
वानर राज के मित्र राम हैं, मैं तो करूँ राम को अर्पण ।।9।।
रीकक्षराज की आस राम हैं, मैं तो भजू राम को मन-मन ।
पक्षीराज की मुक्ति राम हैं, मैं तो बधा राम से हरदम ।।10।।
मेरी चिन्ता राम करें, मैं तो करूँ राम का चिन्तन ।
लंक दहन के रूप राम थे, मैं तो जपूं राम को मन-मन ।।11।।
समुद्र देव से खफा राम थे, मैं तो रखूं राम सा तन-मन ।
रामसेतु के जनक राम हैं, मैं तो बनूं राम का गुंजन ।।12।।
मेरी चिन्ता राम करें, मैं तो करूँ राम का चिन्तन ।
रावण के संहारक राम थे, मैं तो बधा राम से हरदम ।।13।।
अग्नि परीक्षा रची राम ने, माँ सीता को करने कुन्दन ।
भरत भाई की आस राम हैं, मैं भी राम भरोसे लक्ष्मण ।।14।।
मेरी चिन्ता राम करें, मैं तो करूँ राम का चिन्तन ।
धोभी के भी मन मे राम थें, कहे शब्द जो उसने एकदम ।।15।।
बाल्मीकि के इष्ट राम थें, जपा मरा को उसने निसदिन ।
लव-कुश के तो पिता राम हैं, राम कथा को गाया संग-संग ।।16।।
मेरी चिन्ता राम करें, मैं तो करूँ राम का चिन्तन ।
राम भरोसे ललकार खड़ा हैं, मैं तो ललित का हूँ बस दर्पण ।।17।।
नाम राम के जीवन सारा, राम जपे दिन रात ललित तो ।
राम नाम ही मुक्ति मार्ग, राम हैं ममता के परिचायक ।।18।।
मेरी चिन्ता राम करें और मैं तो करूँ राम का चिन्तन…
मैं तो करूँ राम का चिन्तन, मैं तो करूँ राम का चिन्तन
– ललकार भारद्वाज