चिन्तन
दीर्घ जीवन कामना, क्यों करूँ अपने लिए
क्या किया इस देह ने, परमार्थ -देश के लिए
भारती की गोद में, आज अबतक जन्म से
स्वार्थमय जीवन जिया, मात्र निजिता के लिए
भारती ने गोद में, प्यार से पाला मुझे
मैंने दो शब्द भी, नहीं कहे उसके लिए
समर्पण के अवसरों, छुपछुपा बचता रहा
दीर्घ जीवन कामना, क्यों करूँ अपने लिेए
बात लिखने की नहीं, किन्तु मुझसे अनेको
दीर्घ जीवन कामना, कर रहे अपने लिेए