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21 Jun 2020 · 1 min read

” चिन्तन “

यदि हे ‘मां’ हमारी बोलती और ‘मां’ हमारे बोल है|
तो पिता सब दुख-दर्द’ का खिल-खिलाता बोल है|

ज़िन्दगी तो कट रही है किन्तु है अफसोस हमको,
बिन पिता के पुत्र के जीवन का ना कोई मोल है|

हैं सभी अपने हमारे किन्तु ‘मन’ फिर भी अकेला,
अशांत मन को शांत करने बाला ना कोई बोल है|

भूला सभीको प्यार में पर याद सबको कर लिया,
भूलकर भी ‘पिता’ का किसी से ना कोई तोल है|

अाज मैं जब देखता हूँ सारे ‘रिस्ते-नाते’ तौलकर,
तब हुआ मालूम धीरज पित्र का ना कोई मोल है|
————————-
✍ धीरेन्द्र वर्मा
जिला-खीरी (उ०प्र०)

Language: Hindi
Tag: गीत
3 Likes · 2 Comments · 339 Views
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