“चित्रांश”
“चित्रांश”
हम “चित्रांश” रूप में जाने जाते,
वर्णों में, उत्तम वर्ण माने जाते।
चित्रगुप्त के वंशज हैं, हम;
गुरु हमारे हैं, यम।
हमारे लेखनी में है, इतना दम;
सबके भविष्य लिखे, हमारे कलम।
हममें, दयाभाव है; विद्या का नहीं अभाव है;
समाज में हमारा अलग ही प्रभाव है।
हमें सभी जीवों से है,प्यार;
हमारी भावनाओं पे टिकी है, संसार।
हम किसी से लड़ते नहीं;
हमसे जो लड़ते, मरते वही।
हम सब हैं, कुल बारह भ्राता;
आपस में है, सबका मधुर नाता।
“माथुर”और “गौड़”
भारत के हैं, सिरमौर।
‘भटनागर’ और ‘सक्सेना’
विद्या, बुद्धि की है, सेना।
‘अम्बष्ठ’ ‘निगम’ और ‘कुलश्रेष्ठ’,
विश्व में हैं , सर्वश्रेष्ठ।
‘श्रीवास्तव’ और ‘सुरजध्वज’,
हर दिशा में फहराये ध्वज।
‘बाल्मीकि’ और ‘अष्ठाना’,
जो भी ठाना ,वो है उनको पाना।
“कर्ण” का क्या कहना,
ये तो हैं हर जाति, हर वर्ण का गहना।
हमसब मिलकर “कायस्थ” कहलाते हैं,
पूरी दुनिया का भाग्य, हम बनाते है।
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श्री चित्रगुप्ताय नम:
स्वरचित सह मौलिक
… ..✍️ पंकज कर्ण
…………कटिहार।।