Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 May 2023 · 1 min read

चिड़िया…!

चिड़िया चाहे किसी भी खिड़की पर बैठ जाए
लौट कर अपने घोंसले पर ही जाएगी,

घूम ले चाहे आस्मां पुरा
भूल न जाए जब तक खुद से वो घोंसला अपना
आशियाँ बदलना वो भी नहीं चाहेगी,

तोड़ दे अगर उसका बनाया घोंसला कोई,
हिम्मत कर वापिस वो वही अपना आशियां बनाएगी,

लुभा ले चाहे आस्मां उसे बदल कर मौसम अपना
सुबह की रास्ता भटकी चिड़िया भी
शाम ढले अपने ठिकाने पर फिर वापिस लौट जाएगी…!

~ गरिमा प्रसाद 🥀

Language: Hindi
162 Views

You may also like these posts

🙅आज की भड़ास🙅
🙅आज की भड़ास🙅
*प्रणय*
हम कुछ कार्य करने से पहले बहुत बार कल्पना करके और समस्या उत्
हम कुछ कार्य करने से पहले बहुत बार कल्पना करके और समस्या उत्
Ravikesh Jha
*प्यार या एहसान*
*प्यार या एहसान*
Harminder Kaur
जन्म मरण न जीवन है।
जन्म मरण न जीवन है।
Rj Anand Prajapati
राजे महाराजाओ की जागीर बदल दी हमने।
राजे महाराजाओ की जागीर बदल दी हमने।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
छोड़ जाऊंगी
छोड़ जाऊंगी
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
4482.*पूर्णिका*
4482.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्रकृति का अनुपम उपहार है जीवन
प्रकृति का अनुपम उपहार है जीवन
इंजी. संजय श्रीवास्तव
मन का डर
मन का डर
Aman Sinha
*वही निर्धन कहाता है, मनुज जो स्वास्थ्य खोता है (मुक्तक)*
*वही निर्धन कहाता है, मनुज जो स्वास्थ्य खोता है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
अपनी मानहानि को पैसे में तौलते महान!
अपनी मानहानि को पैसे में तौलते महान!
Dr MusafiR BaithA
2122 1212 22/112
2122 1212 22/112
SZUBAIR KHAN KHAN
! हिमालय हितैषी !!
! हिमालय हितैषी !!
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
मोबाइल
मोबाइल
Punam Pande
वादा निभाना
वादा निभाना
surenderpal vaidya
बस इतनी सी अभिलाषा मेरी
बस इतनी सी अभिलाषा मेरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बचा ले मुझे🙏🙏
बचा ले मुझे🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
चलो चलाए रेल।
चलो चलाए रेल।
Vedha Singh
पायल
पायल
Dinesh Kumar Gangwar
"सनद रहे"
Dr. Kishan tandon kranti
बिखरी छटा निराली होती जाती है,
बिखरी छटा निराली होती जाती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बेख़्वाईश ज़िंदगी चुप क्यों है सिधार गयी क्या
बेख़्वाईश ज़िंदगी चुप क्यों है सिधार गयी क्या
Kanchan Gupta
रात नहीं सपने बदलते हैं,
रात नहीं सपने बदलते हैं,
Ranjeet kumar patre
ख्वाब टूट जाते हैं
ख्वाब टूट जाते हैं
VINOD CHAUHAN
मैं भी कवि
मैं भी कवि
DR ARUN KUMAR SHASTRI
चाय पीते और पिलाते हैं।
चाय पीते और पिलाते हैं।
Neeraj Agarwal
वह शख्स तमाम उम्र आईने बेचता रहा..
वह शख्स तमाम उम्र आईने बेचता रहा..
पूर्वार्थ
समाज का डर
समाज का डर
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
कण कण में है श्रीराम
कण कण में है श्रीराम
Santosh kumar Miri
जीवन, सत्य, व्यथा
जीवन, सत्य, व्यथा
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
Loading...