चिठ्ठियां
इन दोस्तों ने कितनी लिखायी थी चिठ्ठियां
उनकी सहेलियों को भी भायी थी चिठ्ठियां।।
पेड़ों पे फूल पत्तों सी आई गई मगर।
उसने ना अब तलक वो जलाई थी चिठ्ठियां।।
ऊपर के लिफाफे पे भी खुशबू उसी की थी।
दिल के करीब रख के चिपकायी थी चिठ्ठियां।।
मैसेज ओ इंटरनेट में कहां खो गई कहो।
हमने जो किताबों मैं छुपायी थी चिठ्ठियां।।
उस रोज इश्क का नशा उतरा था बेशरम।
जिस रोज पिताजी ने वो पाई थी चिठ्ठियां।।