चिंगारी
मैं एक चिंगारी हूँ
आग के शोले से टूट कर निकली
अपने अस्तित्व को खोजती
बिना धार की दुधारी हूँ,
मैं एक चिंगारी हूँ
मौका मिलते ही
अनाजों के ढेर पेड़ों के बाग
गाँव के खंडहर या शहरों के साज
ऊंची से ऊंची अट्टालिकाओं पर मैं भारी हूँ
मैं एक चिंगारी हूँ
मुझे कमजोर मत समझो
मैं अपने पथ की तलाश में
व्यथित जरूर हूँ
परंतु अपने अंतर की ज्वाला को भड़काकर
सब कुछ स्वाहा करने को
पूर्णता की पिटारी हूँ
मैं एक चिंगारी हूँ
़़़़़़़़़ अशोक मिश्र