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6 Nov 2021 · 1 min read

चिंगारी

मैं एक चिंगारी हूँ
आग के शोले से टूट कर निकली
अपने अस्तित्व को खोजती
बिना धार की दुधारी हूँ,
मैं एक चिंगारी हूँ
मौका मिलते ही
अनाजों के ढेर पेड़ों के बाग
गाँव के खंडहर या शहरों के साज
ऊंची से ऊंची अट्टालिकाओं पर मैं भारी हूँ
मैं एक चिंगारी हूँ
मुझे कमजोर मत समझो
मैं अपने पथ की तलाश में
व्यथित जरूर हूँ
परंतु अपने अंतर की ज्वाला को भड़काकर
सब कुछ स्वाहा करने को
पूर्णता की पिटारी हूँ
मैं एक चिंगारी हूँ
़़़़़़़़़ अशोक मिश्र

Language: Hindi
279 Views
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