चाह
गजल
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चाह पाने की ख्याली जाएगी
अब पली आशा निकाली जाएगी
हो न पूरे स्वप्न सबके यहाँ
बिन मनी सारी दिवाली जाएगी
नोट अपने ही न मिलते बैंक से
ब्याह निपटाने दलाली जाएगी
दूसरे की रौनकें है बेटियाँ
प्यार से ही ये संभाली जाएगी
खौफ उनको अब किसी का भी न हो
जब सही संस्कार डाली जायेगी
ख्याल उनका खास रखिए आप सब
वो बडें ही नेह पाली जाएगी
मर्द की हो जब नजर कुत्सित ये तभी
मौत के बिन वो उठाली जाएगी
डॉ मधु त्रिवेदी