Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Oct 2024 · 1 min read

” चाह “

” चाह ”
चाहता तो हूँ अपने दिल से मिलना,
लेकिन
उसका कभी दीदार नहीं होता।

1 Like · 1 Comment · 36 Views
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all

You may also like these posts

हुस्न है नूर तेरा चश्म ए सहर लगता है। साफ शफ्फाफ बदन छूने से भी डर लगता है।
हुस्न है नूर तेरा चश्म ए सहर लगता है। साफ शफ्फाफ बदन छूने से भी डर लगता है।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
अधूरा एहसास(कविता)
अधूरा एहसास(कविता)
Monika Yadav (Rachina)
खत्म हुआ है दिन का  फेरा
खत्म हुआ है दिन का फेरा
Dr Archana Gupta
किसी के मर जाने पर उतना नहीं रोया करता
किसी के मर जाने पर उतना नहीं रोया करता
शिव प्रताप लोधी
दूहौ
दूहौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
कर्त्तव्य
कर्त्तव्य
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
शेयर बाजार वाला प्यार
शेयर बाजार वाला प्यार
विकास शुक्ल
टूटते तारे से यही गुजारिश थी,
टूटते तारे से यही गुजारिश थी,
manjula chauhan
हमने माना कि हालात ठीक नहीं हैं
हमने माना कि हालात ठीक नहीं हैं
SHAMA PARVEEN
तेरे जन्म दिवस पर सजनी
तेरे जन्म दिवस पर सजनी
Satish Srijan
" तरक्की के वास्ते "
Dr. Kishan tandon kranti
Beautiful & Bountiful
Beautiful & Bountiful
Shyam Sundar Subramanian
शख़्सियत
शख़्सियत
Ruchi Sharma
तुम बनते चालाक क्यों,धोखा है संसार ।
तुम बनते चालाक क्यों,धोखा है संसार ।
seema sharma
पुरुषोत्तम
पुरुषोत्तम
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
इन्तजार
इन्तजार
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
जुदाई की शाम
जुदाई की शाम
Shekhar Chandra Mitra
लावारिस
लावारिस
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
*रामपुर में जैन-इतिहास के शोधकर्ता श्री भारत भूषण जैन*
*रामपुर में जैन-इतिहास के शोधकर्ता श्री भारत भूषण जैन*
Ravi Prakash
2771. *पूर्णिका*
2771. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मुस्किले, तकलीफे, परेशानियां कुछ और थी
मुस्किले, तकलीफे, परेशानियां कुछ और थी
Kumar lalit
खुद से खुद को
खुद से खुद को
Dr fauzia Naseem shad
“ फौजी और उसका किट ” ( संस्मरण-फौजी दर्शन )
“ फौजी और उसका किट ” ( संस्मरण-फौजी दर्शन )
DrLakshman Jha Parimal
कुछ पल
कुछ पल
Mahender Singh
अहमियत
अहमियत
Kanchan verma
मेरी ज़िन्दगी
मेरी ज़िन्दगी
Shailendra Aseem
सुन मानसून ! सुन
सुन मानसून ! सुन
Ghanshyam Poddar
हम हमारे हिस्से का कम लेकर आए
हम हमारे हिस्से का कम लेकर आए
सिद्धार्थ गोरखपुरी
शु
शु
*प्रणय*
सुख- दुःख
सुख- दुःख
Dr. Upasana Pandey
Loading...