चाहत कुर्सी की जागी
चाहत कुर्सी की जागी, अपने दल से हो गए बागी
आत्मा उनकी जागी,बन गए वे वैरागी
अब तक तो थे रागी, अब रागों से आत्मा भागी
सत्ता शहजादी से प्रेम हुआ, फिर उसने दौड़ लगा दी
टूट गईं सीमाएं सभी, अपने घर में आग लगा दी
चाहत कुर्सी की जागी, अपने दल से हो गए बागी
आत्मा उनकी जागी,बन गए वे वैरागी
अब तक तो थे रागी, अब रागों से आत्मा भागी
सत्ता शहजादी से प्रेम हुआ, फिर उसने दौड़ लगा दी
टूट गईं सीमाएं सभी, अपने घर में आग लगा दी