चाहतें
तुम्हें गाना चाहता हूंँ
जैसे गा गए राम को कबीर
और कबीर को कुमार गंधर्व
तुम्हें देखना चाहता हूंँ
जैसे देखा था गैलीलियो ने अनंत अन्तरिक्ष
तुम्हें पाना चाहता हूंँ
जैसे पाया था आर्किमिडीज ने एक सिद्धांत ;
चिल्ला उठे थे सुध-बुध खोकर ; यूरेका….यूरेका
तुमसे मिलना चाहता हूंँ
जैसे मिला था अंगुलिमाल ;
बुद्ध से
तुम्हें त्यागना चाहता हूंँ
जैसे त्यागा था शिव ने पिनाक ;
क्योंकि
सिया का राम से मिलन
ज़्यादा ज़रूरी है
हमारे मिलन से !
-आकाश अगम