*चालू* *(हास्य कुंडलिया)*
चालू (हास्य कुंडलिया)
★★★★★★★★★★★
चालू दुनिया हो गई , चालू हर इंसान
चालूपन से चल रहा ,जग का सभी विधान
जग का सभी विधान ,सफलता चालू पाते
चूना लगा अपार , चलाते चालू – खाते
कहते रवि कविराय , कचालू हो या आलू
नमक – मिर्च का स्वाद ,बनाता उनको चालू
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451