चार यार
मिल बैठे है चार यार ,
कर रहे है बाते हज़ार ,
जिस कश्ती में तुम हो सवार ,
उसको डूबाने को है सब त्यार।
उजाड़ने वाले ,
कर रहे है बाते संवारने की,
मानो कसाई कर रहा हो बाते ,
पशुओं को बचाने की ,
पशुओं को आघात ना पहुंचाने की।
मिटा रहे है जो अस्तित्व तुम्हारा
वो तुम्हारे अपने है,
कोई और नहीं है ,
देख खुशी तुम्हारी ,
आज जो दिख रहे है खुश ,
असल में कर रहे अफसोस वही है।
छुप गए थे जो,
देख तुम्हे तन्हा लाचार ,
मिलने आए है आज, बन पुराने यार ।
करते है बाते साथ निभाने की ,
साथ छोड़ जो माना रहे थे,
तुम बिन जश्न हज़ार ,
बता रहे है तुम्हे अपना,
जो भूल गए थे तुम्हे , न जाने कितनी बार
मिल बैठे है चार यार ,कर रहे है बाते हज़ार।
❤️ सखी