चार मुक्तक
चार मुक्तक
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1-
मत पूछो मैँ कैसा हूँ
चुभ जाऊँगा ऐसा हूँ
फूलोँ सी हो छूना मत
मैँ तो काँटोँ जैसा हूँ
2-
राम कहते जिसे हैँ वही तो खुदा
आदमी है नहीँ आदमी से जुदा
एक है आसमाँ है धरा एक ही
क्योँ पूजालय बनेँ अलहदा अलहदा
3-
नहीं तेरे मैं सपनों में लगाने आग जाता हूँ
तुम्हारा जिक्र आते ही मगर मैं जाग जाता हूँ
कहीं फिर प्यार का इजहार तुम करने चली आओ
तेरे कदमों की आहट से मैं डर कर भाग जाता हूँ
4-
तुम हो मेरे साथ मगर ये रात नहीँ अच्छी लगती
लिट्टी-चोखा बिन तो ये बरसात नहीँ अच्छी लगती
प्यार करूँगा शर्त यही है आलू लेकर आ जाओ
भूखा हूँ अब दिल की कोई बात नहीँ अच्छी लगती
– आकाश महेशपुरी