*चार दिवस मेले में घूमे, फिर वापस घर जाना (गीत)*
चार दिवस मेले में घूमे, फिर वापस घर जाना (गीत)
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चार दिवस मेले में घूमे, फिर वापस घर जाना
1)
घर से चले पहुॅंचकर मेले, चाट-पकौड़ी खाई
पानी वाले सुगढ़ बताशे, टिकिया मन को भाई
जीभ चटोरी चाह रही है, और समोसे खाना
2)
मित्र मिले मेले में कुछ से, थी पहचान पुरानी
केवल चार दिनों में सब ने, सब की आदत जानी
संग गया था छोटू खोया, मुश्किल अब मिल पाना
3)
नाच हमें कठपुतली वाले, गुणी रहे दिखलाते
बोले कठपुतली हिलती है, ज्यों हम उसे हिलाते
रोज तमाशा दरी बिछाकर, लगना और उठाना
चार दिवस मेले में घूमे, फिर वापस घर जाना
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451