चार दिनों की ज़िंदगी , खेले कैसे खेल
22-10-2017
आज मिला ऐसा सबक, टूट गईं सब आस
जीने का कोई सबब , रहा न कोई ख़ास
चार दिनों की ज़िंदगी , खेले कैसे खेल
उम्र कैद की हो सज़ा , लगती ऐसी जेल
चार दिनों की दोस्ती, यहाँ समझते प्यार
तभी दिलों में जल्द ही, पड़ती बड़ी दरार
डॉ अर्चना गुप्ता