चारागरी वो कर रहे कुछ इस अदा के साथ
ग़ज़ल
चारागरी वो कर रहे कुछ इस अदा के साथ।
देते मिला के ज़ह्र भी हमको दवा के साथ।।
मँझधार में है कश्ती न पतवार हाथ में।
वो चाहते हैं पार लगाना हवा के साथ।।
इन्क़ार भी करे तो करें कैसे अब भला।
वो हुक़्म दे रहे हैं हमें इल्तिजा के साथ।।
पहले तो होंठ सी दिये सरकार आपने।
अब हुक़्म है कि हम हो खड़े फैसला के साथ।।
दे दी रिहाई पाँव में ज़ंजीर डाल कर।
जीना भी है “अनीस” हमें अब सज़ा के साथ।।
– अनीस शाह “अनीस”