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22 May 2021 · 1 min read

चाय

विश्व चाय दिवस पर विशेष
(21 मई )
चाय
****
आज की सर्वाधिक जरूरतों में
चाय भी प्रमुख है,
कहने को हम कुछ भी कहें
पर बहुत बड़ा रोग है।
फिर भी आज की अनिवार्यता है
चाय के बिना रहा नहीं जाता है,
बहुतों की सुबह नींद से
पीछा ही नहीं छूट पाता,
वहीं न जाने कितनों का
शौच तक साफ नहीं होता।
घर में मेहमानों की इज्जतनवाजी में
चाय सबसे जरुरी है,
आफिस में रहने पर
चाय तो मजबूरी है,
अपना काम निकलवाना है तो
चाय जैसे संजीवनी है।
देर तक काम करने के लिए
चाय टानिक सी है,
टाइम पास करने के लिए
चाय अंगूरी सी है।
आजकल चाय जो नहीं पीते
समझना मुश्किल है कैसे वे जीते हैं
हर किसी के लिए चाय की
अपनी महत्ता है,
कोई एक दो बार में
संतुष्ट हो जाता ,
किसी किसी का बार बार
पीना भी मजबूरी है।
अंग्रेज हमें चाय की चस्का
लगाकर निकल गये,
आज हमने उसे बड़े प्यार से
अपना सबसे प्रिय पेय बना रखा है।
आज तो आलम यह है कि
हम इसे छोड़ भी नहीं पाते,
छोड़ें भी तो कैसे भला
चाय के बिना रहने की
बात भी भला कहाँ सोच पाते?
चाय सर्वधर्म सम्भाव का प्रतीक है,
ऊँच नीच ,अमीर गरीब
जाति धर्म मजहब से दूर
चाय की सबसे प्रीत है।
◆ सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.
8115285921
©मौलिक, स्वरचित

Language: Hindi
3 Likes · 1 Comment · 455 Views
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